Sunday, April 8, 2007

Backcam kyon ?

प्रिंट से इलेक्ट्रानिक मीडिया में आने का मौका रामोजी राव ने दिया। काबिल नहीं होने के बाद भी उन्होंने कहा, अभी काफी कुछ करना है और हम तुम्हे मौका दे रहे हैं, ग्रो करो। उनके लगभग तीन साल पहले कहे गये ये शब्द आज भी मुझे दिन में एक-दो बार जरूर याद आते हैं। प्रिंट से इलेक्ट्रानिक में जाने के बाद पहले ही दिन मेरे वरिष्ठ सहयोगी अमितजी मुझे लेकर ईटीवी के पीसीआर में गये। जहां शाम सात बजे अपना बिहार बुलेटिन चल रहा था। पैनल पर बैठे थे एक बंगाली दादा। पैनल प्रोड्यूसर के तौर पर उनकी ईटीवी में धाक थी। पीसीआर में घुसते ही मुझे पहला जो शब्द सुनने को मिला, वो Backcam था और उसने मुझे खासा प्रभावित किया। कोई स्टोरी समाप्त होने में चार-पांच सेकेंड बचते तभी दादा के मुह से backcam निकलता और स्वीचर फिर से एंकर को पर्दे पर ले आता। क्यू का कमांड मिलते ही एंकर अगली खबर पढ़ना शुरू कर देता था। चूंकि प्रिंट के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया में जाने पर मुझे को पहला टेक्निकल शब्द सुनने को मिला...वो backcam था। इसलिए जब ब्लाग का नाम रखने की बारी आयी...तो मेरे जहन में यही शब्द आया और मैने ब्लाग का नाम Backcam रख दिया। वैसे मुझे अभी तक कभी कैमरे में आने का मौका नहीं मिला...इसलिए ये शब्द हमारे ऊपर ज्यादा लागू नहीं होता है...जब मौका मिलेगा...तब देखेंगे।