नीतीश कुमार जिस बाहुबल और अपराध के खात्मे का नारा देकर बिहार में सत्तासीन हुए थे. अब उसी बाहुबल के सामने नतमस्तक होते दिख रहे हैं. इसकी शुरुआत तस्लीमुद्दीन के जेडीयू में शामिल करने से हुई. जहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तस्लीमुद्दीन से ऐसी जुगल बंदी की. जिस पर नीतीश के जाननेवालों को भी विश्वास करना मुश्किल हो रहा था. खैर इसे सीमांचल में अपनी क्षमता बढ़ाने के तौर पर देखा गया.
इसके बाद दूसरा दृश्य जो सामने आया. वो अपने आप में बड़ा ही अजीब था. मुख्यमंत्री बाहुबली आनंद मोहन के गांव पहुंच गए. हालांकि इस मौके पर आनंद मोहन की पत्नी नहीं मौजूद थी. बहाना था आनंद मोहन की भतीजी को आशीर्वाद देने का. पर जो खबरें आईं. उससे साफ लगा कि मुख्यमंत्री आनंद मोहन और लवली आनंद को जेडीयू में शामिल करना चाहते हैं. इस संबंध में जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से सवाल किया. तो उन्होंने जबाव दिया...कि इसमें आपको क्या परेशानी है. यानि कहीं न कहीं मुख्यमंत्री ने आनंद मोहन के नाम पर हामी भरी. वहीं आनंद मोहन को गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सज़ा भुगत रहे हैं.
इसके बाद सामने आई शहाबुद्दीन और हिना शहाब के जेडीयू में शामिल होने की चर्चा. मुख्यमंत्री जब सीवान के दौरे पर गए तो ऐसा माना जा रहा था कि वो मुलाकात के लिए हिना शहाब के यहां जा सकते हैं. सभी की निगाहें इस पर टिकी थी. लेकिन मीडिया में जोर-शोर से प्रचार होने या फिर किसी और वजह से मुख्यमंत्री हिना शहाब से नहीं मिले. यहां पर प्रभुनाथ सिंह प्रकरण का जिक्र करना भी जरूरी है. क्योंकि जेडीयू में हासिए पर चल रहे प्रभुनाथ सिंह को चुनाव आते ही मनाने की कोशिश हुई. लेकिन प्रभुनाथ नहीं माने. छपरा और आसपास के इलाकों में अच्छा प्रभाव रखनेवाले प्रभुनाथ अब आरजेडी में जाने की तैयारी में हैं.
नीतीश बाहुबलियों की शरण में क्यों जा रहे हैं. ये बात समझ से परे है. साथ ही कई सवाल भी उठते हैं. कि क्या मुख्यमंत्री को अपने किए विकास कार्यों और अन्य सुधारों पर विश्वास नहीं रहा. उस आर्थिक विकास दर पर भी नहीं. जो गुजरात के बाद बिहार की है. आखिर मुख्यमंत्री ऐसा क्यों कर रहे हैं. जेडीयू के सम्मेलनों के दौरान मुख्यमंत्री ये भाषण जरूर देते हैं. कि अगर हमें लगेगा कि हमने जो शुरुआत की है. उसका अच्छा नतीजा नहीं आ रहा है. तो हम आपके बीच में नहीं आएंगे और पटना से ही माफी मांग लेंगे. लेकिन मुख्यमंत्री जैसा कर रहे हैं. उससे कुछ और ही लगता है.
2 comments:
खाली विकास के मुद्दे पर चुनाव नही ना जीता जा सकता । लालू को दुबारा पटखनी जो देनी है ।huggous
अगर अपराधियों को सद्बुद्धि आ गयी हो तब अगर नितीश जी उसके पास जा रहें हैं तब तो ठीक है लेकिन अगर उनके अपराध के शरण में जा रहें हैं तो ये बेहद शर्मनाक है |
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