Wednesday, August 4, 2010

सूखे पर चुनावी तड़का

बिहार सरकार ने 38 में से 28 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है. इसे सरकार का सराहनीय कदम कहें. इससे पहले उन आकड़ों पर नजर डालना जरूरी है. जो मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए हैं. अभी तक बिहार में औसत से केवल 24 फीसदी कम बारिश हुई है. जो अगस्त और सितंबर में होनेवाली बारिश से कवर हो सकती है. ये हम नहीं विशेषज्ञ कहते हैं.
अब सवाल उठता है कि आखिर बिहार सरकार को क्या हड़बड़ी थी. जो उसने 28 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया. इसके पीछे वजह. बिहार विधानसभा चुनाव हैं. जो अगले दो महीने में होनेवाले हैं. जिसके लिए जल्दी ही अधिसूचना जारी होनेवाली है. तब सरकार के हाथ बंध जाएंगे. इसीलिए 28 जिलों को सूखाग्रस्त ही घोषित नहीं किया गया है. बल्कि कैबिनेट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी को ये भी अधिकार दिए हैं. कि बाकी बचे दस जिलों के बारे में वो फैसला ले सकती है. यानि आनेवाले दिनों में प्रशासनिक स्तर पर कोई घोषणा हो. तो चौकिएगा नहीं.
पिछले साल औसत से लगभग पचहत्तर फीसदी कम बारिश हुई थी और बारिश नहीं होने को लेकर चारों ओर हाहाकार मचा था. काफी माथापच्ची के बाद सरकार ने दस अगस्त को 26 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया था. जबकि इस बार एक सप्ताह पहले यानि तीन अगस्त को भी 28 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का फैसला ले लिया गया.
विपक्ष सरकार की चाल समझता है. लेकिन उसे भी वोट चाहिए. इसलिए वार तो कर रहा है. लेकिन संभलकर. आरजेडी-एलजेपी ने तो अभी इस पर मुंह नहीं खोला है. लेकिन कांग्रेस ने गम खाते हुए टिप्पणी कर ही दी. आखिर इतनी क्या जल्दी थी.

1 comment:

honesty project democracy said...

अपने बाप का माल है चाहे सुखा घोषित कर लूटें या बिना घोषित किये ,जनता का क्या है वो तो अंधी,बहरी और गूंगी है ही ,कोई जाँच करने वाला तो है ही नहीं |