Friday, August 6, 2010

क्या तलाक की तैयारी है !

बिहार में बड़े भाई-छोटे भाई के रूप में चुनाव में उतरने का दावा करनेवाले आरजेडी-एलजेपी में क्या चल रहा है. क्या दोनों में तलाक की तैयारी है. क्या दोनों दलों के बड़े नेता जो साथ मिलकर लड़ने का दावा कर रहे थे. वो अब आगे जारी नहीं रहेगा. आखिर दोनों दलों के बीच पेच क्या फंस रहा है. अभी तक क्यों नहीं हो सका है दोनों दलों के बीच सीटों का बटवारा. लालू-पासवान एक सप्ताह से क्यों नहीं दिख रहे हैं साथ.
14 जुलाई को पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में रामविलास पासवान ने घोषणा की थी. कि अगले सप्ताह भर में सीटों को लेकर आरजेडी से उनका समझौता हो जाएगा और सार्वजनिक रूप से समझौते का ऐलान कर दिया जाएगा. इस बयान को इक्कीस दिन से ज्यादा बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक दोनों दलों के बीच सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है. सीट बटवारे में हो रही देरी को लेकर एलजेपी नेता अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं. लेकिन आरजेडी के नेता इस मुद्दे पर चुप हैं. दोनों दलों के मुखिया दिल्ली में हैं और संसद की कार्यवाही में भाग ले रहे हैं.
आरजेडी-एलजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष भी दिल्ली में हैं और पिछले कई दिनों से सीटों के बटवारे को लेकर माथापच्ची चल रही है. लेकिन अभी तक सहमति नहीं बनी है. सूत्रों की मानें तो एलजेपी जितनी सीटों की मांग कर रही है वो देने के लिए आरजेडी तैयार नहीं है. एलजेपी का मंसूबा पहले नब्बे से पंचानबे सीटों पर लड़ने का था. लेकिन अब पार्टी अस्सी सीटों की मांग कर रही हैं. लेकिन सूत्रों का कहना है कि आरजेडी केवल चालीस सीटें ही एलजेपी को देना चाहती है. बस इसी बात को लेकर दोनों दलों के बीच किचकिच पैदा हो गई है.
खबर तो यहां तक है कि आरजेडी और एलजेपी के रिश्तों में तलाक हो सकता है. अगर कांग्रेस की ओर से अच्छा ऑफर एलजेपी को मिल गया. तो रामविलास पासवान कांग्रेस के साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ सकते हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि इस दिशा में बात के लिए पासवान कदम भी बढ़ा चुके हैं. लेकिन सच्चाई क्या है. ये तो पासवान ही जानें. या फिर उस वक्त का इंतजार करना होगा. जब पासवान अपने पत्ते खोलेंगे. लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से आरजेडी और एलजेपी के नेता चुप्पी साधे हुए हैं. वो अपने आप में चौकानेवाली है और आनेवाले दिनों में इसके राजनीतिक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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